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    भाग लें – आपकी आवाज़ महत्वपूर्ण है

    क्या आप एक छात्र, अभिभावक, उच्च शिक्षण संस्थान के शिक्षक/संकाय सदस्य, मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता,या किसी उच्च शिक्षण संस्थान के प्रतिनिधि हैं, जो भारत में छात्र मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी नीतियों और रूपरेखा को आकार देने में योगदान देना चाहते हैं?

    यदि हाँ, तो नीचे दिए गए उपयुक्त सर्वेक्षण में भाग लें।

    यह सर्वेक्षण भारत के कॉलेजों, विश्वविद्यालयों या अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए है

    नेशनल टास्क फोर्स को छात्रों के दृष्टिकोण और अनुभवों को समझने में सहायता करें।

    यह सर्वेक्षण उन शिक्षक सदस्यों के लिए है जो भारत के किसी उच्च शिक्षण संस्थान में कार्यरत हैं

    आपकी शैक्षणिक और संस्थागत समझ, छात्रों के कल्याण से जुड़े प्रयासों को मज़बूत बनाने में सहायक हो सकती है

    यह सर्वेक्षण उन अभिभावकों या संरक्षकों के लिए है जिनके बच्चे वर्तमान में भारत के किसी कॉलेज, विश्वविद्यालय या अन्य उच्च शिक्षण संस्थान में अध्ययनरत हैं

    उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों का साथ देते हुए परिवार जिन अनुभवों और चुनौतियों का सामना करते हैं, उन पर अपना दृष्टिकोण साझा करें

    यह सर्वेक्षण उन मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए है (जैसे मनोवैज्ञानिक, काउंसेलर, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, थेरेपिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता और मनोचिकित्सक), जो कॉलेज या विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की मदद कर रहे हैं

    आपका अनुभव उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों के लिए सहायता की व्यवस्था को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

    यह सर्वेक्षण भारत के कॉलेजों/विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक प्रमुखों और प्रतिनिधियों के लिए है

    आपका योगदान छात्र-कल्याण से जुड़ी नीतियों और व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

     

    24 मार्च 2025 को, भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय ने उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की गम्भीरता को स्वीकार करते हुए इसे शीघ्रता से संबोधित करने के निर्देश दिए।

    माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस. रविन्द्र भट की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय कार्यबल (National Task Force) का गठन किया गया। इस कार्यबल में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हैं

    इस कार्यबल का उद्देश्य छात्र मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर विचार करना, छात्र आत्महत्याओं को कम करने के लिए उपाय सुझाना, और देशभर के उच्च शिक्षा संस्थानों में सहायता प्रणालियों को मज़बूत बनाना है